Friday, May 4, 2007

तुम

तुम

बस
आंखों ही आंखों मे
चुपचाप सी कुछ कहती तुम
हर सांस मे मेरा नाम लिये
हर सांस मे मेरी रहती तुम

तपती धरा पर बारिश कि पहली बूँद सी
सोंधी सी खुशबु लेकर तुम
सरदी कि निर्मल धुप सी प्यारी
गुनगुनी हंसी बिखराती तुम

चांद कि हलकी मधुरिमा मे
गेसुओं के गहरे साए सी तुम
फूल कि पंखुदी पर मानो
जमी ओस सी सकुचाई सी तुम

तुम्ही से आदि तुम्ही पर अंत
मेरे जीवन का सार हो तुम
इस क्षणभंगुर जीवन का मेरे
चट्टान सा आधार हो तुम

एक पलक भर देखने से ही
सर्वस्व अर्पण को तैयार हो तुम
इस ह्रदय मे मेरे प्रेम से बना
मेरी मृगनयनी मेरा संसार हो तुम

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